रायपुर: तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और पूजनीय माना जाता है। इसे न केवल एक पौधे के रूप में, बल्कि देवी के रूप में पूजा जाता है। तुलसी माता का संबंध भगवान श्री हरि विष्णु से होने के कारण यह पूजा विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है। तुलसी की पूजा से श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे घर में सुख, शांति और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
तुलसी पूजा क्या है?
तुलसी पूजा, तुलसी के पौधे की देवी तुलसी के रूप में पूजा करने की परंपरा है। इसे धर्म, स्वास्थ्य और पर्यावरणीय लाभों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। तुलसी को प्रतिदिन जल चढ़ाने, दीप जलाने और पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और परिवार में सकारात्मकता बनी रहती है।
तुलसी पूजा क्यों की जाती है?
तुलसी माता की पूजा का मुख्य उद्देश्य भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना है। तुलसी माता की कृपा से घर में शुभता और संपन्नता का वास होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी माता का संबंध विष्णु भगवान से होने के कारण वे उनके प्रिय हैं, और उनकी पूजा करने से भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते हैं। तुलसी का पौधा न केवल धार्मिक बल्कि औषधीय गुणों से भी भरपूर है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।
तुलसी पूजा की विधि तुलसी
पूजा करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें: 1. स्नान कर तैयार हों: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें। 2. तुलसी को जल चढ़ाएं: प्रतिदिन तुलसी माता को शुद्ध जल चढ़ाएं। लेकिन रविवार और एकादशी के दिन तुलसी में जल नहीं चढ़ाना चाहिए, क्योंकि इन दिनों तुलसी माता उपवास रखती हैं। 3. सिंदूर और फूल अर्पित करें: तुलसी माता को सिंदूर और लाल या गुलाबी रंग के फूल चढ़ाएं। 4. दीपक जलाएं: तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं। यह सुबह और शाम के समय करना चाहिए। 5. तुलसी स्त्रोत का पाठ करें: पूजा के बाद तुलसी स्त्रोत का पाठ करें और भगवान विष्णु की आराधना करें। 6. सूर्यास्त के बाद नियम: सूर्यास्त के बाद तुलसी के पत्तों को न तोड़ें और न ही छुएं। ऐसा करने से तुलसी माता नाराज हो सकती हैं। तुलसी पूजा से घर में शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य का वास होता है। धार्मिक मान्यताओं में यह माना गया है कि तुलसी की पूजा से जीवन में हर प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और व्यक्ति को मानसिक शांति का अनुभव होता है।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। bholuchand.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।