Monday, December 23, 2024
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नवरात्रि के बाद ही क्यों मनाया जाता है दशहरा? क्या है नवरात्र और विजयादशमी का आपस में कनेक्शन? जानिए इसके पीछे की कहानी…

Vijayadashami 2024: शारदीय नवरात्रि के बाद दशहरा यानि विजयादशमी मनायी जाती है लेकिन क्या आप जानते हैं नवरात्र और विजयादशमी का आपस में क्या कनेक्शन है? नवरात्रि के बाद ही दशहरा क्यों मनाया जाता है? आइये जानते हैं इस आर्टिकल में… दशहरा मनाने के दो प्रमुख कारण हैं। एक तो यह है कि भगवान राम ने रावण का वध किया, और दूसरी मान्यता यह है कि मां दुर्गा ने 9 दिन की लड़ाई के बाद दसवे दिन महिषासुर का वध किया। तो चलिए जानते हैं दोनों मान्यताओं की आपस में कनेक्शन की पूरी कहानी…

नवरात्रि के बाद क्यों मनाया जाता है दशहरा?:

Vijayadashami 2024: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महिषासुर नामक एक राक्षस था जिसे ब्रह्मा से आशीर्वाद मिला था कि पृथ्वी पर कोई भी व्यक्ति उसे मार नहीं सकता। इस आशीर्वाद के कारण उसने तीनों लोकों में हाहाकार मचा रखा था। उसके बढ़ते पापों को रोकने के लिए, ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने अपनी शक्तियों को मिलाकर मां दुर्गा का सृजन किया।

नौ दिनों तक महिषासुर का मुकाबला कर दसवे दन विजय मिली :

Vijayadashami 2024: इसके बाद मां दुर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर का सामना किया और दसवें दिन उसका वध किया। इस विजय के परिणामस्वरूप लोगों को इस राक्षस से मुक्ति मिली और चारों ओर हर्ष का माहौल बन गया। चूंकि मां दुर्गा को दसवें दिन विजय प्राप्त हुई थी, इस दिन को दशहरा यानि विजयादशमी के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई।

नवरात्र और विजयादशमी का आपस में कनेक्शन?

Vijayadashami 2024: दशहरा मनाने का एक और कारण यह भी है कि इस दिन भगवान राम ने अत्याचारी रावण का वध किया था। कहा जाता है कि लंका युद्ध के दौरान भगवान श्री रामचन्द्र ने ब्रह्मा जी के पास जाकर रावण पर विजय प्राप्त करने की युक्ति पूछी। ब्रह्मा जी ने राम को बताया कि मां चंडी को प्रसन्न करके रावण का वध किया जा सकता है। राम ने मां चंडी की पूजा और हवन के लिए दुर्लभ 108 नीलकमल की व्यवस्था की। वहीं, रावण ने भी विजय और अमरता के लिए चंडी का पाठ शुरू किया।

रावन के माया से श्री राम के सामग्री से एक नीलकमल गायब:

Vijayadashami 2024: इसी बीच, रावण की माया के कारण श्री राम की हवन सामग्री से एक नीलकमल गायब हो गया, जिससे राम का संकल्प टूटता नजर आने लगा। दुर्लभ नीलकमल की तत्काल व्यवस्था करना संभव नहीं था। तभी श्री राम को याद आया कि लोग उन्हें “कमलनयन” और “नवकंच लोचन” कहते हैं, तो क्यों न एक नेत्र अर्पित कर दिया जाए। जैसे ही श्री राम ने अपने तीर से अपना नेत्र निकालने की कोशिश की, तभी मां चंडी प्रकट हुईं और श्री राम से प्रसन्न होकर विजय श्री का आशीर्वाद दिया।

ब्राह्रणों ने हनुमान जी से वरदान मांगने को कहा:

Vijayadashami 2024: वहीं रावण के चंडी पाठ के दौरान यज्ञ कर रहे ब्राह्मणों की सेवा के लिए हनुमान जी ने बालक का रूप धारण किया और उनकी सेवा करने लगे। उनकी निःस्वार्थ सेवा देखकर ब्राह्मणों ने हनुमान जी से वरदान मांगने को कहा। इस पर हनुमान जी ने विनम्रता से कहा, “ब्राह्मण देवता, आप जिस मंत्र से हवन कर रहे हैं, उसमें का एक अक्षर बदल दें, यही मेरा वरदान है।”

मंत्र के एक अक्षर बदलने से हुआ अर्थ का अनर्थ :

Vijayadashami 2024: ब्राह्मण इस रहस्य को समझ न सके और तथास्तु कह दिया। मंत्र में “जयादेवी भर्तिहरिणी” में ‘ह’ के स्थान पर ‘क’ का उच्चारण करें, यही मेरी कामना है। “भर्तिहरिणी” का अर्थ है प्राणियों की रक्षा करने वाली, जबकि “भर्तिकरिणी” प्राणियों को पीड़ित करने वाली है, जिससे देवी रूष्ट होकर रावण का सर्वनाश करने के लिए प्रतिबद्ध हो गईं। हनुमान जी ने अपनी चतुराई से ब्राह्मणों से ‘ह’ के स्थान पर ‘क’ का उच्चारण करवाकर रावण का सर्वनाश करवा दिया। सर्वप्रथम श्री रामचन्द्र जी ने शारदीय नवरात्रि की पूजा समुद्र किनारे प्रारंभ की और दशवे दिन लंका पर विजय के लिए प्रस्थान करके विजय प्राप्त की। जिसके बाद इस दिन को असत्य पर सत्य की जीत यानि दशहरा या विजयादशमी के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई।

दशहरा के दिन नीलकंठ का दर्शन करना शुभ:

Vijayadashami 2024: दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन का महत्व भगवान राम की लंका पर विजय से जुड़ा हुआ है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान राम ने रावण का वध करने के लिए लंका पर आक्रमण किया, तब उन्होंने युद्ध से पहले नीलकंठ पक्षी के दर्शन किए थे। यह पक्षी भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है, और नीलकंठ के दर्शन को शुभ और विजय का संकेत माना गया। इसके बाद ही उन्होंने युद्ध में रावण का वध किया। इसलिए, दशहरे के दिन नीलकंठ के दर्शन को भगवान राम की विजय से जोड़कर देखा जाता है, और इसे अत्यंत शुभ माना जाता है।

Bholuchand Desk
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