Monday, December 23, 2024
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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: बांग्लादेश से भारत आए शरणार्थियों को मिलेगी नागरिकता

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने गुरुवार (17 अक्टूबर 2024) को नागरिकता कानून की धारा 6A पर महत्वपूर्ण सुनवाई की। पांच जजों की इस पीठ ने असम समझौते को आगे बढ़ाने के लिए 1985 में संशोधन के माध्यम से नागरिकता अधिनियम की धारा 6A की संवैधानिक वैधता को बनाए रखा।

इन न्यायाधीशों ने सुनाया फैसला :

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत, एमएम सुंदरेश और मनोज मिश्रा ने बहुमत से फैसला सुनाया, जबकि जस्टिस जेबी पारदीवाला ने असहमति व्यक्त की। धारा 6A को 1985 में असम समझौते में शामिल किया गया था, ताकि बांग्लादेश से अवैध रूप से आने वाले उन अप्रवासियों को नागरिकता का लाभ मिल सके, जो 1 जनवरी, 1966 और 25 मार्च, 1971 के बीच असम में आए थे।

जस्टिस पारदीवाला ने इस कानून में संशोधन को गलत ठहराया:

CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि बहुमत का निर्णय है कि नागरिकता कानून की धारा 6A संवैधानिक रूप से मान्य है। दूसरी ओर, जस्टिस पारदीवाला ने इस कानून में संशोधन को गलत ठहराया है। बहुमत ने संशोधन को सही मानते हुए कहा है कि 1 जनवरी 1966 से 24 मार्च 1971 के बीच बांग्लादेश से असम आने वाले लोगों की नागरिकता को कोई खतरा नहीं होगा। आंकड़ों के अनुसार, असम में 40 लाख अवैध आप्रवासी हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में यह संख्या 57 लाख है। हालांकि, असम की कम आबादी को देखते हुए, वहां के लिए अलग से कट-off डेट बनाना आवश्यक था। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि 25 मार्च 1971 की कट-off डेट उचित है।

4:1 के बहुमत से सही ठहराया:

साधारण शब्दों में कहें तो, सुप्रीम कोर्ट ने 1985 के असम समझौते और नागरिकता कानून की धारा 6A को 4:1 के बहुमत से सही ठहराया है। इसके तहत 1 जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 तक पूर्व पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से असम आए लोगों की नागरिकता बरकरार रहेगी। इसके बाद आए लोग अवैध नागरिक माने जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि असम की कम आबादी को देखते हुए कट-off डेट बनाना उचित था।

Bholuchand Desk
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