सपने वो नहीं होते जो सोते वक्त देखे जाते हैं, सपने वो होते हैं जो आपको सोने नहीं देते। यह पंक्तियां बिलकुल फिट बैठती हैं शैलेंद्र कुमार बांधे पर, जिन्होंने चपरासी से असिस्टेंट कमिश्नर तक का ऐसा सफर तय किया, जो लाखों लोगों के लिए एक मिसाल बन गया है।
छत्तीसगढ़ के रायपुर के रहने वाले शैलेंद्र बांधे ने (CGPSC) 2023 में असिस्टेंट कमिश्नर का पद हासिल किया है। लेकिन इस कामयाबी की कहानी जितनी आसान लगती है, उतनी है नहीं।
दरअसल, शैलेंद्र बांधे छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के दफ्तर में चपरासी के तौर पर काम कर रहे थे। दिनभर फाइलें इधर-उधर पहुंचाना, अफसरों की टेबल साफ करना – यही उनका रोज़ का काम था। लेकिन उन्होंने अपने सपनों को कभी मरने नहीं दिया।
शैलेंद्र का सफर आसान नहीं था। वे पांचवीं बार में सफल हुए। 2019 में उन्होंने पहली बार PSC की परीक्षा दी थी, लेकिन सफल नहीं हो पाए। 2021 में मंडी निरीक्षक की परीक्षा दी, लेकिन कुछ अंकों से रह गए। फिर 2022 में PSC की परीक्षा में बैठकर 306वीं रैंक हासिल की। लेकिन शैलेंद्र का सपना डिप्टी कलेक्टर बनने का था।
हर असफलता के बाद उनका जुनून और बढ़ता गया। बीच में उन्हें परिवार का आर्थिक दबाव महसूस हुआ। घरवालों की मदद करने के लिए उन्होंने चपरासी की नौकरी कर ली। लेकिन दिमाग में एक ही बात थी – डिप्टी कलेक्टर बनना है। और आखिरकार, 2023 में मेहनत रंग लाई। शैलेंद्र बांधे ने PSC पास कर असिस्टेंट कमिश्नर का पद हासिल किया।
शैलेंद्र की कहानी बताती है कि कोई भी नौकरी छोटी नहीं होती और कोई भी सपना बड़ा नहीं होता। कड़ी मेहनत, संयम और निरंतर प्रयास से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है।