रायपुर के भाटागांव स्थित पारस इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन में एक गरिमामय समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें हाल ही में पीएचडी उपाधि प्राप्त करने वाले शोधार्थियों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में शिक्षा, समाजसेवा, संस्कृति और शोध जगत से जुड़े अनेक विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति रही।
शोध को मिला सम्मान, प्रोत्साहन की मिसाल बनी पहल
मुख्य अतिथि डॉ. उदय भान सिंह चौहान, जो छत्तीसगढ़ निर्माण के भागीरथी और सर्व समाज संगठन के अध्यक्ष हैं, ने अपने वक्तव्य में कहा:
“आज काम की कोई कमी नहीं, लेकिन प्रोत्साहन दुर्लभ है। पारस इंस्टीट्यूट द्वारा शोधार्थियों को सम्मान देना एक अनुकरणीय पहल है, जो युवा शोधकर्ताओं को आगे बढ़ने की प्रेरणा देगा।”
शोध, स्वावलंबन और संस्कृति का संगम
एसआरटीसी के विद्वान डॉ. डी. दर्शन ने कहा कि— “शिक्षा और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए सरकार अनेक योजनाएं चला रही है। अगर पारस इंस्टीट्यूट जैसी संस्थाएं भी आगे आएं, तो उन्हें हरसंभव सहयोग मिलेगा।”
छत्तीसगढ़ी लोककला के संवाहक पुरुषोत्तम चंद्राकर ने संस्थान की संचालिका कविता कुंभज की प्रशंसा करते हुए कहा: “शोध और संस्कार जब एक संकल्प बन जाएं, तभी सच्ची साधना संभव होती है। कविता जी इसका सुंदर उदाहरण हैं।”
शोध और आत्मविकास की एक यात्रा
लाईफ वर्सिटी के संपादक और हॉलिस्टिक हेल्थ कोच डॉ. नरेंद्र पांडे ने कहा: “शोध केवल जानकारी अर्जित करने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह आत्म-अनुशासन, मानसिक शुद्धता और समग्र विकास की यात्रा है। वैदिक ज्ञान और हॉलिस्टिक अप्रोच से जुड़कर शोधार्थी आंतरिक शक्ति प्राप्त करते हैं।”
अन्य विशिष्ट उपस्थितियाँ और संदेश
इस अवसर पर वरिष्ठ चिकित्सक और समाजसेवी डॉ. अर्चना साठे, युवा समाजसेवी संजीव यादव, और अनेक शिक्षाविद एवं गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।
संस्थान की ओर से आभार
कार्यक्रम की संचालिका कविता कुंभज ने सभी उपस्थित जनों का आभार प्रकट करते हुए कहा: “यह कार्यक्रम उन शोधार्थियों के लिए प्रेरणा बनेगा, जो दूरदराज के क्षेत्रों से आकर विभिन्न विषयों पर मौलिक कार्य कर रहे हैं। हमारा प्रयास है कि शोध को केवल डिग्री तक सीमित न रखकर उसे समाज के उपयोगी चिंतन से जोड़ा जाए।”
समारोह के अंत में सभी चयनित शोधार्थियों को ढाल और प्रशस्ति-पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया।