छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की स्थापना को आज 25 साल पूरे हो गए हैं। इस ऐतिहासिक मौके पर बिलासपुर स्थित हाईकोर्ट परिसर में भव्य रजत जयंती समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशु धूलिया, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा, राज्यपाल, मुख्यमंत्री सहित उच्च न्यायपालिका, मंत्रीगण और वरिष्ठ जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।
बिलासपुर को हाईकोर्ट दिलाने वाले शख्स की कहानी बनी चर्चा का विषय
रजत जयंती समारोह के दौरान हाईकोर्ट की स्थापना से जुड़ी एक प्रेरणादायक कहानी ने सभी का ध्यान खींचा। यह कहानी है सीनियर एडवोकेट गौरी शंकर अग्रवाल की, जिनकी अडिग जिद्द, त्याग और संकल्प के कारण ही बिलासपुर को हाईकोर्ट का दर्जा मिल पाया। हाईकोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट में उनका नाम सबसे पहले दर्ज है, जो उनके योगदान का प्रमाण है।
न्याय के लिए त्याग: 10 वर्षों तक छोड़ी वकालत
गौरी शंकर अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ की स्थापना से पहले ही यह ठान लिया था कि राज्य बनने के बाद हाईकोर्ट बिलासपुर में ही स्थापित होना चाहिए। अपनी इस मांग को लेकर उन्होंने लगातार 10 वर्षों तक वकालत छोड़ दी और इस मिशन के लिए स्वयं को पूरी तरह समर्पित कर दिया। रायपुर और बिलासपुर के बीच चल रही खींचतान के बावजूद उनके मजबूत इरादों और लगातार संघर्ष के चलते बिलासपुर को न्यायिक राजधानी का गौरव प्राप्त हुआ।
अब 25 साल बाद, एक सपना हुआ साकार
आज जब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट 25 साल पूरे कर चुका है, तो यह केवल एक संस्थान की सालगिरह नहीं, बल्कि उस संकल्प की सफलता है जो एक व्यक्ति ने अकेले ठानी थी। इस उपलब्धि ने छत्तीसगढ़ की न्यायिक व्यवस्था को मजबूती दी है और प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान भी दिलाई है।

