रायपुर: छत्तीसगढ़ में स्कूलों के बड़े पैमाने पर बंद होने की खबरों को शिक्षा विभाग ने सिरे से खारिज करते हुए इन्हें भ्रामक और तथ्यहीन बताया है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई युक्तियुक्तकरण (तर्कसंगत समायोजन) प्रक्रिया का मकसद स्कूल बंद करना नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था को अधिक प्रभावी और संसाधनयुक्त बनाना है।
राज्य के कुल 10,463 स्कूलों में से केवल 166 स्कूलों का समायोजन किया जा रहा है। इनमें से ग्रामीण क्षेत्रों के 133 स्कूल ऐसे हैं जहां विद्यार्थियों की संख्या 10 से भी कम है और एक किलोमीटर के दायरे में कोई अन्य स्कूल संचालित हो रहा है। वहीं शहरी क्षेत्रों के 33 स्कूल ऐसे हैं जिनमें छात्रों की संख्या 30 से कम है और 500 मीटर के अंदर दूसरा स्कूल मौजूद है। ऐसे स्कूलों को नजदीकी स्कूलों में मिलाकर संचालन किया जाएगा ताकि छात्रों को बेहतर शैक्षणिक माहौल और सुविधाएं मिल सकें।
शेष 10,297 स्कूल पहले की तरह पूरी तरह से चालू रहेंगे। इनमें किसी प्रकार की बंदी नहीं की जा रही है। विभाग का कहना है कि केवल प्रशासनिक और शैक्षणिक स्तर पर आवश्यक समायोजन किए जा रहे हैं, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सके। इन स्कूलों की इमारतों और संसाधनों का उपयोग पहले की तरह जारी रहेगा और जहां आवश्यक होगा, वहां शिक्षक भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि समायोजन और बंद होने में बुनियादी अंतर है। समायोजन का अर्थ है नजदीकी स्कूलों को एकीकृत कर संसाधनों और शिक्षकों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना, जिससे छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा मिल सके।
शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में बड़ा कदम
राज्य सरकार का उद्देश्य शिक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाना है। युक्तियुक्तकरण के जरिए शिक्षकों और संसाधनों का बेहतर वितरण सुनिश्चित किया जा रहा है। कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को ऐसे स्कूलों में मिलाया जा रहा है जहां छात्रों की संख्या अधिक है और सुविधाएं बेहतर हैं। इससे छात्रों को योग्य शिक्षक, बेहतर लाइब्रेरी, कंप्यूटर, प्रयोगशाला जैसी सुविधाएं मिलेंगी। साथ ही जिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी थी, वहां अब पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध होंगे।