Thursday, August 28, 2025
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महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग: भस्म आरती और महाकाल की शाही सवारी, शिव के दक्षिणमुखी रूप की जानिए रहस्यमयी कथा

उज्जैन: महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के 12 पवित्र शिव ज्योतिर्लिंगों में से तीसरे स्थान पर आता है। यह मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित है और इसका विशेष महत्व है क्योंकि यह दक्षिणमुखी शिवलिंग है — जो इसे अन्य सभी ज्योतिर्लिंगों से अलग बनाता है। यह मंदिर पवित्र शिप्रा नदी के निकट स्थित है।

महाकालेश्वर की पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाकाल वन में दूषण नामक राक्षस ऋषि-मुनियों को तंग कर रहा था। शिवजी उनकी रक्षा हेतु प्रकट हुए और राक्षस का वध किया। तब भक्तों की प्रार्थना पर शिव ने यहीं ज्योतिर्लिंग रूप में वास करने का संकल्प लिया। इस कथा का वर्णन स्कंद पुराण और शिवमहापुराण में भी मिलता है।

केवल महाकाल में होती है भस्म आरती

महाकाल मंदिर की एक खास परंपरा है – भस्म आरती, जो केवल यहीं होती है। यह आरती सुबह 4 बजे होती है और इसमें उपयोग की जाने वाली भस्म खास तरह की लकड़ियों और गोबर से बनाई जाती है। इसे शुद्ध करने के बाद शिवलिंग पर अर्पित किया जाता है।

नागचंद्रेश्वर के दर्शन साल में सिर्फ एक बार

महाकाल मंदिर के ऊपरी तल पर स्थित नागचंद्रेश्वर प्रतिमा के दर्शन साल में केवल एक बार नाग पंचमी के दिन होते हैं। इस साल नाग पंचमी 21 अगस्त को है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग

महाकाल की शाही सवारी

हर साल सावन और भाद्रपद महीने में भगवान महाकाल की सवारी निकाली जाती है। खासतौर पर भादौ की अंतिम सवारी को ‘शाही सवारी’ कहा जाता है, जिसमें महाकाल को चांदी की पालकी में विराजित किया जाता है और उज्जैन नगर भ्रमण कराया जाता है।

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महाकाल शब्द का गूढ़ अर्थ

महाकाल यानी “समय के स्वामी”। उज्जैन को कालगणना का केंद्र माना जाता है। यही कारण है कि यहां बनाए गए पंचांग और ज्योतिषीय गणनाओं को सबसे सटीक माना जाता है।

उज्जैन के अन्य धार्मिक स्थल

महाकाल मंदिर के पास ही हरसिद्धि शक्तिपीठ स्थित है, जो 51 शक्तिपीठों में से एक है।

काल भैरव मंदिर, जहां भगवान भैरव को शराब अर्पित की जाती है।

सांदीपनि आश्रम, जहां श्रीकृष्ण और सुदामा ने शिक्षा प्राप्त की थी।

महाकालेश्वर मंदिर का इतिहास

मंदिर का निर्माण परमार वंश के काल में माना जाता है (10वीं-11वीं सदी)। उज्जैन के महान राजा विक्रमादित्य से भी इसका ऐतिहासिक संबंध है। विक्रम संवत भी उनके नाम से ही प्रचलित है।

महाकालेश्वर मंदिर कैसे पहुंचे?

1. ट्रेन से:
उज्जैन सिटी जंक्शन या विक्रम नगर स्टेशन से टैक्सी या लोकल बस द्वारा मंदिर पहुंचा जा सकता है।

2. हवाई मार्ग:
महारानी अहिल्या बाई होल्कर एयरपोर्ट (इंदौर) मंदिर से लगभग 55-60 किमी दूर है। टैक्सी या बस सेवा उपलब्ध है।

3. सड़क मार्ग:
मध्यप्रदेश के प्रमुख शहरों से उज्जैन तक सीधी बसें उपलब्ध हैं। निजी वाहन से यात्रा भी सरल है।

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Bholuchand Desk
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