नई दिल्ली: भारत का आईटी सेक्टर एक बार फिर रफ्तार पकड़ने को तैयार है। विशेषज्ञों के अनुसार, 2025 की पहली छमाही में इस क्षेत्र में 7 से 10 प्रतिशत तक नौकरियों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। सालभर में 4 से 4.5 लाख नई नौकरियों के पैदा होने की संभावना जताई गई है।
आईटी सेक्टर में स्थिरता और विस्तार के संकेत:
बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में आईटी कंपनियों की आय में 1 से 3 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो इस क्षेत्र में स्थिरता और ग्रोथ की ओर इशारा करती है। यह भी संकेत है कि भारत की आईटी इंडस्ट्री अब वैश्विक प्राथमिकताओं और डिजिटल बदलावों के अनुरूप आगे बढ़ रही है।
AI, क्लाउड, डेटा इंजीनियरिंग में सबसे अधिक अवसर:
फर्स्टमेरिडियन बिजनेस सर्विसेज के CEO सुनील नेहरा के अनुसार, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन अब भी जारी है और कंपनियां ग्लोबल टेक्नोलॉजी इन्वेस्टमेंट्स के लिए और अधिक टारगेटेड अप्रोच अपना रही हैं।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि AI/ML, क्लाउड कंप्यूटिंग, डेटा इंजीनियरिंग, ऑटोमेशन जैसे क्षेत्रों में निरंतर निवेश बढ़ रहा है, जिससे इन सेक्टरों में बड़े पैमाने पर नियुक्तियों की उम्मीद है।
जनरेटिव एआई में भी बड़े निवेश की तैयारी:
कंपनियों का फोकस अब जनरेटिव एआई और सर्विस सेक्टर में ऑटोमेशन पर बढ़ रहा है। इसके अलावा, क्लाउड मॉडर्नाइजेशन, साइबर सिक्योरिटी, और डेटा इंजीनियरिंग जैसे डोमेन में भी खास संभावनाएं बनी हुई हैं।
फ्रेशर्स के लिए अच्छा समय, 10,000+ नई भर्तियां:
हायरिंग सेंटीमेंट इस समय सकारात्मक बना हुआ है, खासकर एंट्री-लेवल नौकरियों के लिए।
एनएलबी सर्विसेज के CEO सचिन अलुग के अनुसार, कुछ आईटी कंपनियों ने इस वित्त वर्ष में 10,000 से अधिक फ्रेशर्स को नियुक्त करने की योजना बनाई है।
सबसे ज्यादा डिमांड वाले प्रोफाइल्स हैं:
AI/ML इंजीनियर
डेटा साइंटिस्ट
क्लाउड आर्किटेक्ट
डेवऑप्स इंजीनियर
ESG एनालिस्ट
इन पदों पर उम्मीदवारों को औसतन 8-10% अधिक वेतन मिल रहा है।
जॉब मार्केट में स्थिरता लौट रही है:
पिछले वर्ष की तुलना में आईटी सेक्टर में धीरे-धीरे रिकवरी देखने को मिल रही है। नौकरी छोड़ने की दर 13-15% के बीच स्थिर बनी हुई है, जो एक स्थिर और परिपक्व टैलेंट लैंडस्केप की ओर संकेत करता है।