रायपुर: बाल विवाह की सामाजिक कुरीति को खत्म करने के उद्देश्य से गुरुकुल महिला महाविद्यालय, रायपुर में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा एक महत्वपूर्ण जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन महिला एवं बाल विकास विभाग, छत्तीसगढ़ के सहयोग से किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के बारे में छात्रों और आम जनता को जागरूक करना था।
मुख्य अतिथि शैल ठाकुर (जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग, रायपुर) ने बाल विवाह की वर्तमान स्थिति और उसे रोकने के उपायों पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस कुरीति के खिलाफ सरकार की सक्रिय भूमिका और इसके सामाजिक प्रभावों के बारे में विस्तार से बताया।
विशिष्ट अतिथि डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकर, प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट (CWC, रायपुर), ने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की धाराओं और कानूनी प्रावधानों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बाल विवाह कानूनी रूप से अपराध है और इसमें कठोर सजा का प्रावधान है। इसके साथ ही, गीत के माध्यम से भी छात्राओं को इस कुरीति के दुष्प्रभावों से अवगत कराया गया।
श्री संजय निराला, संरक्षण अधिकारी, ने बच्चों के लिए स्थापित चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 और वीमेन हेल्पलाइन 181 की जानकारी दी। साथ ही, श्री विपिन ठाकुर, राज्य समन्वयक ने बाल विवाह के कारण बच्चों के जीवन पर पड़ने वाले सामाजिक, मानसिक और शारीरिक प्रभावों पर गंभीर रूप से चर्चा की।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. संध्या गुप्ता ने कार्यक्रम का स्वागत करते हुए छात्रों से अपील की कि वे बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता फैलाने में सक्रिय भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा,
“बाल विवाह के उन्मूलन के लिए हम सबका जागरूक होना बेहद जरूरी है। यह तभी संभव है जब हम सब एकजुट होकर इसके खिलाफ आवाज उठाएं।”
कार्यक्रम में महाविद्यालय की एनएसएस इकाई के छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। इसमें प्रश्नोत्तर सत्र और रचनात्मक गतिविधियाँ भी आयोजित की गईं, जिससे छात्रों में इस मुद्दे के प्रति जागरूकता और भी गहरी हुई।
बाल विवाह के खिलाफ एक जुटता, बच्चों के शिक्षा और सम्मान को लेकर अधिकारों की रक्षा के लिए उठाए गए कदम इस कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं थीं। यह कार्यक्रम महाविद्यालय द्वारा बाल अधिकारों की रक्षा और एक सुरक्षित समाज के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है।