काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग: उत्तर प्रदेश: भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में सातवां स्थान पाने वाला काशी विश्वनाथ मंदिर न सिर्फ आध्यात्मिक दृष्टि से, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह मंदिर उत्तर प्रदेश के प्राचीन नगर वाराणसी, जिसे काशी भी कहा जाता है, में स्थित है। मान्यता है कि इस नगरी की रक्षा स्वयं भगवान शिव करते हैं और कलियुग के अंत में आने वाले प्रलयकाल में भी यह नगरी और यह मंदिर अक्षुण्ण रहेंगे।
काशी: सप्तपुरियों में एक दिव्य नगरी
काशी प्राचीन भारत की सप्तपुरियों में शामिल है — वे सात नगर जिन्हें मोक्षदायिनी कहा गया है। ये हैं: अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची, अवंतिका (उज्जैन) और द्वारका।
महाभारत में भी काशी का उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि काशी नरेश की तीन कन्याएं — अंबा, अंबालिका और अंबिका — महाभारत की कथा का अहम हिस्सा रहीं। भीष्म द्वारा इनका स्वयंवर भंग किया गया था। युद्ध के समय काशिराज ने पांडवों का साथ दिया था।
काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास
काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास हज़ारों वर्ष पुराना माना जाता है। 11वीं से 15वीं सदी के बीच इस मंदिर को कई बार विदेशी आक्रांताओं द्वारा तोड़ा गया।
अकबर के समय में टोडरमल ने इसका पुनर्निर्माण करवाया।
बाद में औरंगज़ेब ने इस मंदिर को फिर ध्वस्त कर मस्जिद बनवाई।
इंदौर की महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने अठारहवीं शताब्दी में इस मंदिर का भव्य जीर्णोद्धार करवाया।
शिव और शक्ति का एक साथ वास
काशी विश्वनाथ मंदिर की एक विशेष बात यह है कि यहां शिवजी और शक्ति दोनों की एक साथ पूजा होती है। शिवलिंग के एक भाग में भगवान शिव विराजमान हैं और दूसरे भाग में माता शक्ति। यह अद्वितीय दृश्य श्रद्धालुओं के लिए विशेष आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।
गंगा स्नान और मोक्ष की प्राप्ति
मान्यता है कि जो व्यक्ति काशी में मृत्यु को प्राप्त होता है, उसे दोबारा जन्म नहीं लेना पड़ता और वह सीधा मोक्ष प्राप्त करता है। साथ ही, यहां गंगा स्नान और काशी विश्वनाथ के दर्शन से भक्तों को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

संतों का आशीर्वाद प्राप्त स्थान
कहा जाता है कि इस मंदिर में आदि शंकराचार्य, स्वामी विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस, महर्षि दयानंद, संत एकनाथ और गोस्वामी तुलसीदास जैसे महापुरुषों ने भी दर्शन किए थे। यह मंदिर न सिर्फ तीर्थ, बल्कि संतों की साधना स्थली भी रहा है।
वाराणसी: नदियों, घाटों और नामों की नगरी
काशी में गंगा, वरुणा, और अस्सी तीन प्रमुख नदियां बहती हैं। वरुणा और अस्सी के संगम के कारण इस शहर का नाम वाराणसी पड़ा।
काशी के प्रमुख घाटों में शामिल हैं:
दशाश्वमेध घाट
मणिकर्णिका घाट (मुख्य शवदाह स्थल)
हरिश्चंद्र घाट
तुलसी घाट
ये सभी घाट पौराणिक महत्व रखते हैं और धार्मिक अनुष्ठानों के केंद्र हैं।
स्कंद पुराण और काशी के 12 नाम
स्कंद पुराण के एक खंड — काशीखंड — में इस पवित्र नगरी की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है। इसमें काशी के 12 पवित्र नाम बताए गए हैं:
काशी, वाराणसी, अविमुक्त क्षेत्र, आनंदकानन, महाश्मशान, रुद्रावास, काशिका, तपस्थली, मुक्तिभूमि, शिवपुरी, त्रिपुरारिराज नगरी और विश्वनाथ नगरी।
कैसे पहुंचे काशी विश्वनाथ मंदिर?
यात्रा सुविधाएं:
वायु मार्ग: वाराणसी एयरपोर्ट देश के बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है।
रेल मार्ग: वाराणसी जंक्शन भारत के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा है।
सड़क मार्ग: सड़क मार्ग से उत्तर प्रदेश और पड़ोसी राज्यों से बस, टैक्सी व निजी वाहन से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
रुकने की सुविधा: काशी में सैकड़ों आश्रम, धर्मशालाएं और होटल उपलब्ध हैं, जो सभी बजट में मिल जाती हैं।
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